दीपावली क्या है, अर्थ, क्यों मनाया जाता है | माता लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है

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आज इस आर्टिकल में आपको दीपावली क्या है और उसका अर्थ, और दीपावली कब मनाया जाता है और साथ में दीपावली क्यों मनाया जाता है? इस बारे में भी जानेंगे और जैसे कि आप जानते है कि दीपावली मनाने के पीछे कई कहानियाँ/कथाएँ है आज हम इस कहानियाँ को जानेगे और नवम्बर में दीपावली कब है 2021 और दीपावली में माता लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त कब है, ऐसे सभी सवालों के जवाब आपको आज इस आर्टिकल में देखने को मिलेगा। इसीलिए चलिए आज जानते हैं।

दीपावली मनाने के पीछे की कहानी...पांच कहानियों को सबसे ज्यादा माना जाता है, Why is Deepawali celebrated?, what is deepawali

दीपावली क्या है, दीपावली का अर्थ और कब मनाया जाता है? – What is Deepawali, Meaning of Deepawali and when is it Celebrated? 

दीपावली एक प्राचीन हिन्दू त्यौहार है जो हर वर्ष शरद ऋतु में मनाया है इसे दीपों के त्यौहार के नाम से भी कहा जाता है या यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में आता है। दीपावली बुराई पर अच्छाई की विजय और अंधेरे पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।


“दीपावली” का अर्थ है: ‘दीप'(दीपक) + ‘आवली'(पंक्ति) से जुड़ कर दीपावली शब्द बना है जिसका साफ अर्थ है “दीपों की पंक्ति”। ‘दीप’ से ‘दीपक’ शब्द की बनता है। इसलिए कुछ लोग दीपावली को “दीपों का त्यौहार” भी कहते है।  

दीपावली एक रोशनी का पर्व है क्योंकि आज के आधुनिक समय में बिजली और लाइट के होते हुए भी लोग अपने अपने घरों को दीपकों और मोमबत्तिओं से सजाते है भले ही समय के साथ मनुष्य जाति ने कितनी भी तररकी कर ली हो परन्तु आज भी दिवाली में दीयों को खास महत्त्व दिया जाता है।

2021 में दीपावली कब मनाया जाऐगा – When will Deepawali be Celebrated in 2021?

इस बार दीपावली 4 नवंबर (गुरुवार) को मनाया जाऐगा और दीपावली अमावस्या तिथि और समय: 04 नवंबर को 06:03 से शुरू होगा और 05 नवंबर को 02:44 बजे समाप्त होगी। 

दीपावली में माता लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त 

दीपावली में माता लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त शाम 06:09 बजे से रात 08:20 तक है। माता लक्ष्मी की पूजा की अवधि 01 घंटे 55 मिनट की है।

दीपावली क्यों मनाया जाता है? और माता लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है – Why is Deepawali Celebrated? And why is Goddess Lakshmi Worshiped?

दीपावली मनाने के पीछे की कहानी है लेकिन उन्ही कहानियों में से मैंने चुन कर आपके सामने यह पांच कहानी प्रस्तुत किए है जोकि यह पांच कहानियों को सबसे ज्यादा माना जाता है इनमे से 3 कहानी हिन्दू समुदाय से, 1 कहानी सिख समुदाय से और 1 कहानी जैन समुदाय सबंधित है इन कहानियों को देखकर आज हम यह जानेंगे की दीपावली क्यों मनाया जाता है, दीपावली में दियें क्यों जलाए जाते है और दीपावली में माता लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है?

पहला कहानी जुडी है “भगवान श्रीरामचंद्र जी” से

जब त्रेतायुग में भगवान श्री रामचंद्र जी को 14 वर्षो का वनवास मिला था तब उन 14 वर्षो के दौरान उन्होंने अनेक यातनाओ को सामना कर जब भगवान श्रीरामचंद्र जी लंका पहुंचे वहाँ पर उन्होंने लंकापति रावण का वद करने के बाद, भगवान श्रीरामचंद्र जी कार्तिक अमावस्या को अयोध्या लोटे थे इस अवसर पर सारे अयोध्यावासियों ने भगवान श्रीरामचंद्र जी की वापसी पर दीपक जलाया गया था तब से दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

दूसरी कहानी जुडी है “समुद्र मंथन” से


समुद्र मंथन के समय कार्तिक अमावस्या को ही क्षीर सागर से माता लक्ष्मी की उत्पत्ती हुई थी और फिर भगवान श्री हरी विष्णो जी और माता लक्ष्मी का विवह हुआ था तभी से दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है माता लक्ष्मी धन की देवी है इसलिए हर घर में दिये में जलने के साथ-साथ माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है जिससे उस घर में माता लक्ष्मी हमेशा विराज रहे।

तीसरी कहानी जुडी है “भगवान श्रीकृष्ण” से 


द्वापर युग में एक नरकासुर नाम रक्षक हुआ करता था वह बहुत ही अत्याचारी था एक बार नरकासुर ने 16 हजार युवतिओं का अपहरण कर लिया था तब भगवान श्रीकृष्ण जी ने नरकासुर का वद कर उन 16 हजार युवतिओं की जान बचाई और नरकासुर के कैद से आजाद किया और यह दिन भी कार्तिक अमावस्या का दिन था इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण मानने वाले लोग इसी दिन को दीपावली के रूप में मानते है। 

चौथी कहानी जुडी है “सिख समुदाय” से 


एक बार की बात जब मुग़ल बादशाह जहाँगीर 52 हजार राजाओं  को ग्वालियर के किले में बंदी बना कर रखा था उस दौरान सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद सिंहजी ने अपनी सूझ-बूझ और अपनी बुद्धिमानी से उन 52 हजार राजाओं को जहाँगीर के कैद से आजाद करवाया था तभी से सिख समुदाय भी दीपावली का त्यौहार बड़े धूम-धाम मनाने लगे।  

पांचवें कहानी जुडी है “जैन समुदाय/धर्म” से 

जैन धर्म के 24 वे और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को कार्तिक अमावस्या निर्वाह (मोक्ष) की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन भगवान महावीर के गणधर गौतम स्वामी को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी इसीलिए जैन धर्म के लोग भी दीपावली के त्यौहार को बड़े धूम-धाम मानते है जैन धर्म के ग्रंथो के अनुसार भगवान महावीर स्वामी ने दीपावली के दिन यानि कार्तिक अमावस्या के दिन मोक्ष में जाने से पहले आधी रात को अंतिम उपदेश दिया था जिसे उत्तराध्ययन सूत्र के नाम से जाना जाता है। 

भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष में जाने के बाद वहां मौजूद जैन धर्मावलियो ने दीपक जला कर के रोशनी करते हुए खुशिया मनाई थी जैन धर्म के लिए  यह त्यौहार विशेष रूप से त्याग और तपस्या के त्यौहार रूप में मनाया जाता है इसी दिन जैन धर्मावलि भगवान महावीर स्वामी की विशेष रूप से पूजा करते है और उनके त्याग और तपस्या को याद करते है । 

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