चंद्रशेखर आज़ाद की जीवनी | Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi 2022

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आज हम उस इंसान की बात करेंगे जिन्होंने देश की आज़ादी में अपना योगदान दिया तो बने रहे हमारे इस आर्टिकल में और जाने चंद्रशेखर आजाद की जीवनी जिसमे उनके संगर्ष की कहानी है।

चंद्रशेखर आजाद सुनते ही उस क्रांतिकारी की याद आती है जो अपनी मूंछो को ताव देते है और जो चंद्रेशेखर आजाद हमेशा आजाद ही रहें, अपनी आखिरी सांस तक।

चंद्रशेखर आज़ाद की जीवनी | Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi 2022

चंद्रशेखर आज़ाद जो एक भारतीय क्रांतिकारी थे। जिनका जन्म भाबरा गाँव के अलीराजपुर राज्य भारत में (वर्तमान मध्य प्रदेश, भारत) में 23 जुलाई 1906 में हुआ था, उनके पिता का सीताराम तिवारी था और उनके माता जी का नाम जागरानी देवी था। 

उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) को  हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के अपने नए नाम फिर से गठित किया गया। और वह इसके सदस्य थे।

चन्द्रशेखर आजाद की मृत्यु खुद को गोली मारने के कारण हुई थी यानी खुदखुशी की थी 27 फरवरी 1931 में संयुक्त प्रांत के इलाहाबाद शहर में (वर्तमान भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज गाँव) खुदखुशी की थी

Information of Chandra Shekhar Azad

जन्म: 23 जुलाई 1906

जन्म स्थान:  भाबरा गाँव के अलीराजपुर राज्य भारत में (वर्तमान भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अलीराजपुर में)

मृत्यु: 27 फरवरी 1931 (उम्र 24)

मृत्यु स्थान: संयुक्त प्रांत के इलाहाबाद शहर में (वर्तमान भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज गाँव)

मृत्यु का कारण: खुदखुशी 

पेशा: भारतीय क्रांतिकारी और कार्यकर्ता

Chandra Shekhar Azad की Family

चंद्रशेखर आज़ाद के पिता का नाम सीताराम तिवारी था और उनके माता जी का नाम जागरानी देवी था। चंद्रशेखर आज़ाद  का विवह नहीं हुआ था।

खुद को गोली मारने का कारण

चन्द्रशेखर आजाद ने सुखदेव को जब भगा दिया परन्तु वह खुद ही अंग्रजो से लड़ते रहते है अंत में चन्द्रशेखर आजाद के जांघ में अंग्रेजो ने गोली मर दी और जब उनकी बंदूक में सिर्फ एक गोली बची थी तो उन्होंने एक गोली खुद को मार लिया और कहा कि मैं अंग्रजो के हाथों से मरने की बजाय खुद मरना पसंद करूँगा।

किस प्रकार मिला चंद्रशेखर को ‘आजाद’ का नाम?

‘आजाद’ नाम चंद्रशेखर को एक विशेष कारण से दिया गया था।वह कारण यह था कि जब चंद्रशेखर 15 उम्र के थे, तब उन्‍हें किसी मामले में एक जज के सामने प्रस्तुत किया गया। वहां उनसे जज साहब ने उनका नाम पूछा था 

तब चंद्रशेखर ने जज को कहा कि ‘मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा घर जेल है’। यह सुनकर जज भड़क उठा और चंद्रशेखर को 15 कोड़ों की सजा सुना दी, तभी से उनका नाम आजाद यानि चंद्रशेखर आजाद पड़। चंद्रशेखर आजाद पूरा जीवन अपने आप को आजाद रखना चाहते थे तभी उन्होंने खुदखुशी कर ली।

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