होली का कथा, इतिहास और खास_Holi Real Story 2021 in Hindi

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होली का कथा, इतिहास और खास

होलिका दहन के दिन एक पवित्र अग्नि जलाई जाती जिसमें सभी तरह की अवगुण, बुराई, अंहकार और नकारात्मकता को जलाया जाता है और अच्छे गुणों को अपनाया जाता है अगले दिन, हम अपने को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं साथ ही नाच, गाने और स्वादिष्ट पकवानो के साथ इस त्यौहार का आनंद लेते हैं। सड़कों और गलियों पर नीली, गुलाबी, पीली, हरी और लाल रंग बिखरे दिखाई देता है और लोग अपने परिवारजनों और दोस्तों को होली की बधाई देते हैं। यह click here करे और अपने परिवारजनों और दोस्तों को होली की बधाई दे….


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Holi Real Story 2022 in Hindi


The Real Story of Holi – कहानी होली की कहानी है :- होली त्योहार का नाम होलिका से मिला जो कि असुरराज हिरण्यकश्यप की बहन थी हिरण्यकश्यप को ब्रह्मान देव से एक वरदान मिला। कि उसकी मृत्यु ना किसी मनुष्य से होगी, ना किसी जानवर से, ना वह अंदर मरेगा, ना वह बाहर मरेगा इस वरदान को पाकर हिरण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को कहा कि सिर्फ उसकी पूजा करें या किसी भगवान की | 


लेकिन उसके अपने ही बेटे प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की पूजा जारी रखी इससे हिरण्यकश्यप बहुत क्रोधित हुआ, उसने प्रह्लाद को पहाड़ से नीचे फेक दिया परन्तु उसे कुछ नहीं हुआ फिर उसने प्रह्लाद को कुए में फेक दिया परन्तु उसे कुछ नहीं हुआ उसके बाद हिरण्यकश्यप ने जंगली हाथी से कुचंलवाने का आदेश दिया परन्तु वह भी प्रह्लाद को कोई नुकसान नहीं पंहुचा सका, इसके बाद प्रह्लाद को एक कमरे में जहरीले और गुस्सैल सांपों के साथ बंद कर दिया गया, परंतु उसे कुछ नहीं हुआ। 

आखिर में होलिका ने प्रहलाद को अपने साथ आग में बैठा लिया, होलिका ने खुद एक शॉल ओढ़ लिया ताकि वह आग में ना जल सके लेकिन वह शॉल प्रहलाद के ऊपर चली गई जिसकी वजह से प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ परन्तु होलिका उस आग में जलकर भस्म हो गई। 


भगवान विष्णु ने नरसिंह यानी आधे मानव और आधे शेर के रूप में प्रकट होकर। संध्या के समय हिरण्यकश्यप को अपने नाखूनों से मार दिया इसलिए हर साल बुराई पर अच्छाई की इस जीत को याद दिलाने के लिए होलिका को जलाया जाता है। होली का त्योहार होलिका को जलाने के अगले दिन मनाया जाता है।


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